भारत के बंटवारे से लेकर आज तक, इतिहास बार-बार एक ही दर्द दोहराता आया है—हिंदुओं को निशाना बनाना। चाहे वो 1947 में बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) का नरसंहार हो, 1989 में कश्मीरी पंडितों का पलायन, या फिर आज के पर्यटक जो पहलगाम में हमला झेलते हैं, एक सवाल उठता है: क्या ये सब महज संयोग…
1947 से लेकरगाम तक: केवल हिंदू ही क्या कह रहे हैं?
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