भारत के बंटवारे से लेकर आज तक, इतिहास बार-बार एक ही दर्द दोहराता आया है—हिंदुओं को निशाना बनाना। चाहे वो 1947 में बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) का नरसंहार हो, 1989 में कश्मीरी पंडितों का पलायन, या फिर आज के पर्यटक जो पहलगाम में हमला झेलते हैं, एक सवाल उठता है: क्या ये सब महज संयोग…

1947 से लेकरगाम तक: केवल हिंदू ही क्या कह रहे हैं?

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By पाराशर

मिलिए पराशर से, जो Newzquest.in के प्रतिष्ठित लेखक हैं और अपनी विश्लेषणात्मक गहराई और पत्रकारिता की ईमानदारी के लिए जाने जाते हैं। पराशर की लेखनी व्यापक शोध और सूक्ष्म दृष्टि का मिश्रण है, जो ताजा खबरों पर विभिन्न दृष्टिकोणों को उजागर करती है। उनकी सुलभ शैली पाठकों को जोड़ती है और पारंपरिक कथाओं को चुनौती देती है, जबकि उनकी विशेषज्ञता जटिल मुद्दों की रिपोर्टिंग को समृद्ध बनाती है। परिणामस्वरूप, यह सोच-विचार करनेवाली, संतुलित रिपोर्टिंग होती है जो Newzquest के दर्शकों को सूचित निर्णय लेने और सुर्खियों के पीछे की कहानी देखने में समर्थ बनाती है।

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