अठारह दिन के महायुद्ध ने द्रौपदी को अस्सी वर्षों का भार दे दिया था। हस्तिनापुर के उजड़े महल में बैठी द्रौपदी, अपनी पीड़ा में डूबी थी। श्रीकृष्ण के आगमन पर छलकते हुए भाव, करुणा और सत्य का संवाद प्रारंभ हुआ। कृष्ण ने उसे यह बोध कराया कि हमारे शब्द भी हमारे कर्मों के समान हैं…
शब्दों का ज़हर
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