डोनाल्ड ट्रंप का H-1B बम: भारत की सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री और परिवारों पर बड़ा संकट
डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने हायर-स्किल वीज़ा H-1B के लिए एक झटके में $100,000 (करीब 83 लाख रुपये) का शुल्क लागू कर भारत समेत दुनिया भर के प्रोफेशनल्स के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

इस फैसले का सीधा असर भारतीय सॉफ्टवेयर कंपनियों, आईटी प्रोफेशनल्स और उनके परिवारों पर साफ दिख रहा है, क्योंकि साल 2024 में जारी H-1B वीज़ा का 71% हिस्सा भारतीयों को मिला था।
नई नीति से सिर्फ नए आवेदकों को ही शुल्क देना होगा, मौजूदा वीज़ा धारकों और रिन्युअल वालों को राहत मिली है। अमेरिकी व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि बाहर गए हुए मौजूदा भारतीय H-1B वीज़ाधारकों को $100,000 फीस नहीं देनी पड़ेगी। हालाँकि, नीति के अचानक अमल में आने से कंपनियों और प्रोफेशनल्स में घबराहट दिखी; कई आईटी कंपनियों ने कर्मचारियों को यूएस में ही रहने की सलाह दी ।
वहीं, भारत सरकार और इंडस्ट्री बॉडीज इस असर की समीक्षा कर रही हैं। विदेश मंत्रालय ने इमरजेंसी हेल्पलाइन (+1-202-550-9931) जारी की है और मानवीय संकट की आशंका जताई है। भारत को चिंता है कि इस नीति से सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट इंडस्ट्री को झटका लग सकता है औऱ परिवारों में अस्थिरता आ सकती है।
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस एक फैसले से भारतीयों का अमेरिकी ‘डिजिटल ड्रीम’ और दो देशों के इनोवेशन संबंध दोनों पर असर पड़ेगा।
नीति निर्माता अब दोनों देशों के हित और आपसी संबंधों को ध्यान में रखकर समाधान तलाशने में जुटे हैं
H-1B वीजा नियम बदलाव से भारतीय IT professionals का भविष्य क्या है
H-1B वीजा नियम बदलाव से भारतीय IT professionals के भविष्य पर बड़ा असर पड़ेगा। ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू किए गए $100,000 वार्षिक शुल्क का असर मुख्य रूप से नए आवेदकों पर होगा, मौजूदा वीजा धारकों को फिलहाल राहत मिली है। हालांकि, इस बदलाव से कंपनियां H-1B वीजा धारकों को स्पॉन्सर करने में कतराने लगेंगी, जिससे हजारों भारतीय IT पेशेवरों को अमेरिका में काम करने के अवसर कम मिल सकते हैं।
Nasscom समेत कई इंडस्ट्री विशेषज्ञ इस नई नीति से चिंता जता रहे हैं क्योंकि इससे भारतीय IT कंपनियों के अमेरिका में चल रहे प्रोजेक्ट्स प्रभावित होंगे और वैश्विक कारोबार में बाधा आ सकती है। इस बदलाव के चलते फर्में अपनी नौकरियां भारत में शिफ्ट कर सकती हैं, जिससे भारत में IT एवं टेक्नोलॉजी सेक्टर को बढ़ावा मिल सकता है, लेकिन अमेरिकी बाजार में भारतीय पेशेवरों के लिए चुनौतियां बढ़ेंगी।
कुल मिलाकर, भारतीय IT पेशेवरों के लिए अमेरिका में करियर के रास्ते मुश्किल जरूर होंगे, परन्तु इसे भारत में अवसरों के विस्तार और ग्लोबल तकनीकी नेतृत्व की दिशा में एक सकारात्मक बदलाव के रूप में भी देखा जा सकता है। सरकार और उद्योग प्रतिनिधि स्थिति की समीक्षा कर समाधान तलाशने में लगे हैं।
यह स्थिति अगले 6-12 महीनों में स्पष्ट रूप से विकसित होगी, जिसमें नई नीतियों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की भूमिका अहम होगी।
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